खानपान की बदलती तस्वीर – अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न 1. ‘खानपान की बदलती तसवीर’ के लेखक के नाम बताएँ।

उत्तर:- प्रयाग शुक्ल।

प्रश्न 2. खानपान की संस्कृति में बड़ा बदलाव कब से आया?

उत्तर:- खानपान की संस्कृति में बड़ा बदलाव दस-पंद्रह वर्षों में आया।

प्रश्न 3. ढाबा संस्कृति कहाँ तक फैल चुकी है?

उत्तर:- उत्तर भारत की ‘ढाबा’ संस्कृति लगभग पूरे देश में फैल चुकी है।

प्रश्न 4. पाव-भाजी किस प्रांत का स्थानीय व्यंजन है?

उत्तर:- महाराष्ट्र

प्रश्न 5. किसी स्थान का खान-पान भिन्न क्यों होता है?

उत्तर:- किसी स्थान के खानपान की भिन्नता वहां के मौसम के अनुसार मिलने वाले खाद्य पदार्थों के अनुसार, वहां रहने वाले लोगों की रूचि के आधार पर या फिर वहां आसानी से मिलने वाली वस्तुओं की उपलब्धता के आधार पर होती है।

प्रश्न 6. उत्तर भारत में किस बात में बदलाव आया है?

उत्तर:- उत्तर भारत में खान-पान की संस्कृति में बदलाव आया है।

प्रश्न 7. आजकल बड़े शहरों में किसका प्रचलन बढ़ गया है?

उत्तर:- आजकल बड़े शहरों में फ़ास्ट फूड चाइनीज नूडल्स, बर्गर, पीजा तेज़ी से बढ़ा है।

प्रश्न 8. स्थानीय व्यंजनों की गुणवत्ता में क्या फ़र्क आया है? इसकी क्या वजह हो सकती है?

उत्तर:- स्थानीय व्यंजनों की गुणवत्ता में कमी आई है जिससे लोगों का आकर्षण कम हुआ है। इसका कारण है उन वस्तुओं में मिलावट किया जाना, जिनसे तैयार की जाती है।

प्रश्न 9. मथुरा-आगरा के कौन-से व्यंजन प्रसिद्ध रहे हैं?

उत्तर:- मथुरा के पेड़े और आगरा का दलमोट-पेठा प्रसिद्ध है।

प्रश्न 10. स्थानीय व्यंजनों के प्रसार को प्रश्रय कैसे मिली?

उत्तर:- आज़ादी के बाद उद्योग-धंधों, नौकरियों, तबादलों (स्थानांतरण) के कारण लोगों का एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में जाने से मिश्रित व्यंजन संस्कृति का विकास हुआ। उसके कारण भी खानपान की चीजें किसी एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में पहुँची हैं।

प्रश्न 11. खानपान संस्कृति का ‘राष्ट्रीय एकता’ में क्या योगदान है?

उत्तर:- खानपान संस्कृति का राष्ट्रीय एकता में महत्त्वपूर्ण योगदान है। खाने-पीने के व्यंजनों का प्रभाव एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में बढ़ता जा रहा है। उदाहरण के तौर पर उत्तर भारत के व्यंजन दक्षिण व दक्षिण के व्यंजन उत्तर भारत में अब काफ़ी प्रचलित हैं। इससे लोगों के मेलजोल भी बढ़ता जा रहा है जिससे राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा मिलता है।

प्रश्न 12. स्थानीय व्यंजनों का पुनरुद्धार क्यों ज़रूरी है?

उत्तर:- स्थानीय व्यंजन किसी न किसी स्थान विशेष से जुड़े हैं। वे हमारी संस्कृति की धरोहर हैं। उनसे हमारी पसंद, रुचि और पहचान होती है। इसलिए भारतीय व्यंजनों का पुनरुद्धार आवश्यक है क्योंकि पश्चिमी प्रभाव के कारण अपना अस्तित्व खोते जा रहे हैं। अतः इनको पुनः प्रचलित करने की आवश्यकता है।

प्रश्न 13. खानपान की नई संस्कृति का नकारात्मक पहलू क्या है? अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर:- लेखक का कहना है कि मिश्रित संस्कृति से व्यंजन का अलग और वास्तविक स्वाद का मज़ा हम नहीं ले पाते हैं। सब गड्डमड्ड हो जाता है। कई बार खानपान की नवीन मिश्रित संस्कृति में हम कई बार चीजों का सही स्वाद लेने से भी। वंचित रह जाते हैं, क्योंकि हर चीज़ खाने का एक अपना तरीका और उसका अलग स्वाद होता है। प्रायः सहभोज या । पार्टियों में हम विभिन्न तरीके के व्यंजन प्लेट में परोस लेते हैं ऐसे में हम किसी एक व्यंजन का सही मजा नहीं ले पाते। हैं। स्थानीय व्यंजन हमसे दूर होते जा रहे हैं। नई पीढ़ी को इसका ज्ञान नहीं है और पुरानी पीढ़ी भी धीरे-धीरे इसे भुलाती जा रही है। यह खानपान की नवीन संस्कृति के नकारात्मक पक्ष हैं।

प्रश्न 14. आप खानपान में आए बदलावों को किस रूप में लेते हैं?

उत्तर:- खानपान में आए बदलावों को आधुनिक परिवर्तन के रूप में ले सकते हैं। अब गृहिणियों के पास स्थानीय व्यंजन पकाने के लिए समय नहीं है और प्रचुर मात्रा में वस्तुएँ। अब समय की बचत के लिए जल्दबाजी में काम करती है। अतः कम समय में तैयार होने वाले व्यंजन का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन मैं तथा कथित फास्ट फूड्स-नूडल्स पिज्ज़ा बर्गर का पक्षपाती नहीं हूँ, क्योंकि इनके प्रयोग से स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

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