शाम-एक किशान- अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न 1. ‘शाम-एक किसान’ कविता के रचयिता कौन हैं?

उत्तर:- सर्वेश्वरदयाल सक्सेना।

प्रश्न 2. पहाड़ को किन रूपों में दर्शाया गया है?

उत्तर:- किसान के रूप में।

प्रश्न 3. भेड़ों के झुंड-सा अंधकार कहाँ बैठा है?

उत्तर:- भेड़ों के झुंड-सा अंधकार पूरब दिशा में बैठा है।

प्रश्न 4. चिलम के रूप में किसका चित्रण किया गया है?

उत्तर:- चिलम के रूप में सूर्य का चित्रण किया गया है।

प्रश्न 5. कौन-सी अँगीठी दहक रही है?

उत्तर:- पलाश के जंगल की अँगीठी दहक रही है।

प्रश्न 6. “चिलम आधी होना’ किसका प्रतीक है?

उत्तर:- सूरज के डूबने का।

प्रश्न 7. सूरज डूबते ही क्या हुआ?

उत्तर:- सूरज डूबते ही चारों ओर अंधकार हो गया।

प्रश्न 8. पहाड़ के चरणों में बहती नदी किस रूप में दिखाई देती है?

उत्तर:- पहाड़ के चरणों में बहती नदी चादर के रूप में दिखाई देती है।

प्रश्न 9. कौन किस रूप में बैठा है?

उत्तर:- पहाड़ एक किसान के रूप में बैठा है। उसने सिर पर साफ़ा बाँध रखा है, चिलम पी रहा है तथा घुटने टेके हुए है।

प्रश्न 10. अंधकार दूर सिमटा कैसा लग रहा है?

उत्तर:- अंधकार दूर सिमटा भेड़ों के गल्ले के समान लग रहा है।

प्रश्न 11. दूर फैला अंधकार कैसा दिख रहा है?

उत्तर:- दूर फैला अंधकार झुंड में बैठी भेड़ों जैसा दिख रहा है।

प्रश्न 12. जंगल में खिले पलाश के फूल कैसे प्रतीत होते हैं?

उत्तर:- जंगल में खिले फूल जलती अँगीठी की भाँति प्रतीत होते हैं।

प्रश्न 13. इस कविता में किस वातावरण का चित्रण है?

उत्तर:- इस कविता में जाड़े की संध्या के वातावरण का चित्रण है।

प्रश्न 14. किसे अँगीठी बताया गया है और क्यों ?

उत्तर:- पलाश के जंगल को अँगीठी बताया गया है, क्योंकि पलाश के लाल-लाल फूल आग की तरह प्रतीत होता है।

प्रश्न 15. किसको किस रूप में चित्रित किया गया है?

उत्तर:- पहाड़ को एक किसान के रूप में, नदी को एक चादर के रूप में, पलाश के जंगल को दहकती अँगीठी के रूप में डूबते सूरज को चिलम के रूप में तथा आकाश को किसान के साफ़े के रूप में वर्णन किया गया है।

प्रश्न 16. कविता में चित्रित शाम और सूर्यास्त के दृश्य का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

उत्तर:- इस कविता के माध्यम से कवि ने पर्वतीय प्रदेश के सायंकालीन प्राकृतिक सौंदर्य को दर्शाने का प्रयास किया है। शाम को किसान के रूप में बताया है। पहाड़ किसान के रूप में घुटने मोड़े बैठा है। उसके सिर पर आकाश का साफ़ा बँधा है और घुटनों पर नदी की चादर पड़ी है। सूरज चिलम यॊ रहा है। साथ ही में पलाश के जंगल की अँगीठी दहक रही है और दूर पूरब में अंधकार भेड़ों के झुंड के रूप में धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। उसी समय, मोर की आवाज आती है जैसे कह रहा हो-सुनते हो। उसकी आवाज़ से लगता है शाम रूपी किसान हड़-बड़ा कर उठ गया जिससे चिलम उलट गई और चारों तरफ़ धुआँ फैल गया यानी अँधेरा छा गया। सूरज के डूबने से शाम बीत गई और रात हो गई ।

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