निबंध से
प्रश्न 1. जिन लोगों के पास आँखें हैं, वे सचमुच बहुत कम देखते हैं-हेलेन केलर को ऐसा क्यों लगता था?
उत्तर:- हेलेन केलर ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि जो लोग किसी चीज को निरंतर देखने के आदी हो जाते हैं वे उनकी तरफ़ अधिक ध्यान नहीं देते। उनके मन में उस वस्तु के प्रति कोई जिज्ञासा नहीं रहती। ईश्वर की दी हुई देन का वह लाभ नहीं उठा। सकते।
प्रश्न 2. ‘प्रकृति का जादू’ किसे कहा गया है?
उत्तर:- प्रकृति का जादू वह है जो प्रकृति के रूप में नित्य कुछ-न-कुछ परिवर्तन करता है। प्रकृति अपने रूप के आकर्षण से हमें अपनी ओर जादू की तरह आकर्षित करती है। प्रकृति में विविधता है, अलग-अलग वृक्षों की अलग-अलग घुमावदार बनावट और उनकी छाल और पत्तियाँ होना, फूलों का खिलना, कलियों की पंखुड़ियों की मखमली सतह, बागों में पेड़ों पर गाते पक्षी, कलकल करते बहते हुए झरने, कालीन की तरह फैले हुए घास के मैदान आदि प्रकृति के जादू हैं।
प्रश्न 3. ‘कुछ खास तो नहीं’–हेलेन की मित्र ने यह जवाब किस मौके पर दिया और यह सुनकर हेलेन को आश्चर्य क्यों नहीं हुआ?
उत्तर:- प्रकृति में चारों ओर देखने और समझने की बहुत सी चीजें हैं, फिर भी उनकी मित्र कह रही है कि मैंने कुछ खास नहीं देखा। लेखिका का मानना है कि वे कुछ भी देखना ही नहीं चाहती। वे उन चीजों की चाह ज़रूर करती हैं जो उनके आस-पास नहीं है।
प्रश्न 4. हेलेन केलर प्रकृति की किन चीज़ों को छूकर और सुनकर पहचान लेती थीं? पाठ के आधार पर इसका उत्तर लिखो।
उत्तर:- हेलेन केलर प्रकृति की अनेक चीजों जैसे भोज-पत्र पेड़ की चिकनी छालं, चीड़ की खुरदरी छाल, टहनियों में नई, कलियों फूलों की पंखुड़ियों की बनावट को छूकर और सँघकर पहचान लेती है।
प्रश्न 5. जबकि इस नियामत से जिंदगी को खुशियों के इंद्रधनुषी रंगों से हरा-भरा किया जा सकता है’। -तुम्हारी नज़र में इसका क्या अर्थ हो सकता है?
उत्तर:- हमारी आँखें अनमोल होती हैं। संसार की सारी खूबसूरती आँखों से ही है। जीवन के सभी रंग आँखों से ही हैं। अतः यह जिंदगी की बहुत बड़ी देन है। इसमें जिंदगी को रंगीन और खुशहाल बनाया जा सकता है और अपने सारे दुखों को भुलाया जा सकता है।
निबंध से आगे
प्रश्न 1. आज तुमने घर से आते हुए बारीकी से क्या-क्या देखा-सुना? मित्रों के साथ सामूहिक चर्चा करो।
उत्तर:- आज जब मैं अपने घर से विद्यालय के लिए निकला तो चौराहे पर कुछ लोगों की भीड़ देखी। वे लोग हाथों में समाचार पत्र लिए हुए और किसी गंभीर मसले पर चर्चा कर रहे थे। इतने में मेरी स्कूल बस आ गई। थोड़ी आगे चलकर स्कूल बस भीड़ पर जाम में फँस गई। आगे जाने पर पता चला दुर्घटना हो गई है। एक वाहन उलटा पड़ा था। वहाँ का दृश्य देखकर मन दुखी हो गया। लगभग 15 मिनट बाद में विद्यालय पहुँचा। इसके बाद प्रार्थना में शामिल हुआ, फिर कक्षा में गया। उसके बाद धीरे-धीरे शांति का वातावरण छाया।
प्रश्न 2. कान से न सुन पाने पर आस-पास की दुनिया कैसी लगती होगी? इस पर टिप्पणी लिखो और कक्षा में पढ़कर सुनाओ।
उत्तर:- कान से न सुन पाने पर दुनिया बड़ी विचित्र लगती है। आँखें तो सब कुछ देखती हैं, पर जब उन क्रिया कलापों की आवाज़ नहीं सुन पाते तब ऐसा प्रतीत होता है मानो बंद कानों से हम मूक फ़िल्मों की तरह देखते हैं। न सुनने के कारण व्यक्ति दूसरों से अपने विचारों का आदान-प्रदान सही रूप में नहीं कर पाता होगा।
प्रश्न 3. तुम्हें किसी ऐसे व्यक्ति से मिलने का मौका मिले जिसे दिखाई न देता हो तो तुम उससे सुनकर, सँधकर, चखकर, छूकर अनुभव की जानेवाली चीज़ों के संसार के विषय में क्या-क्या प्रश्न कर सकते हो? लिखो।
उत्तर:-
उनके अनुभव जानने के लिए निम्नलिखित प्रश्न कर सकते हैं-
किसी भी ध्वनि को सुनकर वे कैसे अनुमान लगाते हैं कि ध्वनि किसकी है?
किसी भी चीज़ को चखकर वे क्या हैं? और कैसा अनुभव करते हैं?
क्या आप पक्षी की आवाज़ को सुनकर उसका नाम बता सकते हैं? यह कैसे संभव हो पाता है?
क्या आप सँघकर बता सकते हैं कि यह कौन-सा फूल है?
सँधकर अच्छी-बुरी चीज़ का अंदाजा किस हद तक लगा पाते हैं?
प्रश्न 4. हम अपनी पाँचों इंद्रियों में से आँखों का इस्तेमाल सबसे ज्यादा करते हैं। ऐसी चीजों के अहसासों की तालिका बनाओ जो तुम बाकी चार इंद्रियों से महसूस करते हो-
सुनकर चक्कर सूँघकर छूकर
उत्तर:-
सुनकर | चक्कर | सूँघकर | छूकर |
कोयल का मधुर स्वर, कौए की कर्कश आवाज़, माँ की नाराज़गी भरी पुकार, गीत सुनकर गायक की पहचान | सेब या आम की मिठास, अचार की खटास, मिर्च का तीखापन, इमली का चटपटा स्वाद स्वादिष्ट भोजन, कड़वी दवा | फूलों का गंध, पक रहे भोजन की गंध, गैस का रिसाव | बरफ की ठंडक, आग की गरमी, कपड़े के प्रकार की जानकारी, शरीर का तापमान |
भाषा की बात
प्रश्न 1. पाठ में स्पर्श से संबंधित कई शब्द आए हैं। नीचे ऐसे कुछ और शब्द दिए गए हैं। बताओ कि किन चीजों का स्पर्श होता है-
चिकना ……..
मुलायम ……..
खुरदरा ……..
सख्त ……..
चिपचिपा ……..
भुरभुरा ……..
उत्तर:-
चिकना – तेल, घी, क्रीम में चिकनापन होना।
मुलायम – रेशमी कपड़ा
खुरदरा – लकड़ी व छाल खुरदरे होते हैं।
सख्त – लोहा, पत्थर, लकड़ी
चिपचिपा – गोंद
भुरभुरा – रेत भुरभुरा होता है।
प्रश्न 2. अगर मुझे इन चीज़ों को छूने भर से इतनी खुशी मिलती है, तो उनकी सुंदरता देखकर तो मेरा मन मुग्ध ही हो जाएगा। ऊपर रेखांकित संज्ञाएँ क्रमशः किसी भाव और किसी की विशेषता के बारे में बता रही हैं। ऐसी संज्ञाएँ भाववाचक कहलाती हैं। गुण और भाव के अलावा भाववाचक संज्ञाओं का संबंध किसी की दशा और किसी कार्य से भी होता है। भाववाचक संज्ञा की पहचान यह है कि इससे जुड़े शब्दों को हम सिर्फ महसूस कर सकते हैं, देख या छू नहीं सकते। आगे लिखी भाववाचक संज्ञाओं को पढ़ो और समझो। इनमें से कुछ शब्द संज्ञा और क्रिया से बने हैं। उन्हें भी पहचानकर लिखो-
![](https://infinitegrades.com/wp-content/uploads/2020/10/Q2-chap11-hindi.png)
उत्तर:-
भाववाचक संज्ञा | मूलशब्द | संज्ञा / विशेषण /क्रिया |
मिठास | मीठा | विशेषण |
भूख | भूखा | विशेषण |
शांति | शांत | विशेषण |
भोलापन | भोला | विशेषण |
बुढ़ापा | बूढ़ा | विशेषण |
घबराहट | घबराना | क्रिया |
बहाव | बहना | क्रिया |
फुर्ती | फर्तीला | विशेषण |
ताजगी | ताज्ञा | विशेषण |
मज़दूरी | मज़दूर | संजा |
अहसास | अहसास | विशेषण |
प्रश्न 3. मैं अब इस तरह के उत्तरों की आदी हो चुकी हैं।
उस बगीचे में आम, अमलतास, सेमल आदि तरह-तरह के पेड़ थे।
ऊपर दिए गए दोनों वाक्यों में रेखांकित शब्द देखने में मिलते-जुलते हैं, पर उनके अर्थ भिन्न हैं। नीचे ऐसे कुछ और शब्द दिए गए हैं। वाक्य बनाकर उनका अर्थ स्पष्ट करो-
![](https://infinitegrades.com/wp-content/uploads/2020/10/Q3-chap-11-hindi.png)
उत्तर:-
अवधि – यह प्रश्नपत्र पूरा करने की अवधि 3 घंटे है।
अवधी – अवध क्षेत्र में अवधी भाषा बोली जोती है।
में – सुमन से मेरी मुलाकात बगीचे में हुई।
मैं – मैं दिल्ली का निवासी हूँ।
मेल – मित्रों को आपस में मेल से रहना चाहिए।
मैल – इस साबुन से कपड़े में मैल नहीं रहेगी।
ओर – यह रास्ता मेरे घर की ओर जाता है।
और – राम और श्याम भाई हैं।
दिन – आज दिन बड़ा सुहाना है।
दीन – हमें दीन-दुखियों की सहायता करनी चाहिए।
सिल – माँ सिल पर मसाला पीस रही है।
शील – शील स्वभाव के लोग सबको अच्छे लगते हैं।
अन्य प्रश्न
प्रश्न 1. “जो देखकर भी नहीं देखते” पाठ के लेखक कौन हैं?
उत्तर:- हेलेन केलर।
प्रश्न 2. हेलेन केलर प्रकृति की चीजों को किस प्रकार पहचानती हैं?
उत्तर:- हेलेन केलर प्रकृति की चीजों को छूकर पहचानती हैं।
प्रश्न 3. लेखिका को किसमें आनंद मिलता है?
उत्तर:- फूलों की पंखुड़ियों को छूने और उसकी घुमावदार बनावट को महसूस करने में लेखिका को आनंद मिलता है।
प्रश्न 4. लेखिका किसके स्वर पर मंत्रमुग्ध हो जाती है?
उत्तर:- लेखिका चिड़िया के स्वर पर मंत्रमुग्ध हो जाती है।
प्रश्न 5. लेखिका के कानों में किसके मधुर स्वर गूंजने लगते थे?
उत्तर:- लेखिका के कानों में चिड़ियों के मधुर स्वर गूंजने लगते थे।
प्रश्न 6. लेखिका को प्रकृति के जादू का अहसास कब होता है?
उत्तर:- फूलों की पंखुड़ियों की मखमली सतह छूने और उनकी घुमावदार बनावट महसूस करने से लेखिका को प्रकृति के जादू का अहसास होता है।
प्रश्न 7. इस दुनिया के लोग कैसे हैं?
उत्तर:- इस दुनिया के अधिकांश लोग संवेदनहीन हैं। वे अपनी क्षमताओं की कद्र करना नहीं जानते।
प्रश्न 8. हेलेन केलर अपने मित्रों की परीक्षा क्यों लेती है?
उत्तर:- हेलेन केलर अपने मित्रों की परीक्षा यह परखने के लिए लेती है कि वे क्या देखते हैं।
प्रश्न 9. लेखिका को झरने का पानी कब आनंदित करता है?
उत्तर:- लेखिका जब झरने के पानी में अँगुलियाँ डालकर उसके बहाव को महसूस करती है, तब वह आनंदित हो उठती है।
प्रश्न 10. लेखिका को किस काम से खुशी मिलती है?
उत्तर:- लेखिका को प्राकृतिक वस्तुओं को स्पर्श करने में खुशी मिलती है। वह चीज़ों को छूकर उनके बारे में जान लेती है। यह स्पर्श उसे आनंदित कर देता है।
प्रश्न 11. मनुष्य का स्वभाव क्या है?
उत्तर:- मनुष्य अपनी क्षमताओं की कदर नहीं करता। वह अपनी ताकत और अपने गुणों को नहीं पहचानता। वह नहीं जानता कि ईश्वर ने उसे आशीर्वाद स्वरूप क्या-क्या दिया है और उसका उपयोग नहीं कर सकता है। मनुष्य केवल उस चीज़ के पीछे भागता रहता है, जो उसके पास नहीं है। यही मनुष्य का स्वभाव है।
प्रश्न 12. जिन लोगों के पास आँखें हैं, वे सचमुच बहुत कम देखते हैं- हेलेन केलर को ऐसा क्यों लगता है?
उत्तर:- लेखिका ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि जो लोग किसी चीज़ को निरंतर देखने के आदती हो जाते हैं, वे उनकी तरफ़ अधिक ध्यान नहीं देते। उनके मन में उस वस्तु के प्रति कोई जिज्ञासा नहीं रहती। ईश्वर की दी हुई देन का लाभ नहीं उठा पाते।
प्रश्न 13. लेखिका ने किसे नियामत माना है? उससे क्या किया जा सकता है?
उत्तर:- लेखिका दृष्टि को ईश्वरीय देन मानती है। दृष्टि ईश्वर द्वारा दी गई नियामत है। यह साधारण चीज़ नहीं। दृष्टि से हम जीवन में कई तरह की खुशियाँ प्राप्त कर सकते हैं। दृष्टि के द्वारा ही मानव सही उपयोग करके जितना चाहे उन्नति कर सकता है। दृष्टि जीवन में हर प्रकार के सुख पाने का माध्यम है। इसी से मनुष्य स्वावलंबी बन सकता है। समाज को भी उन्नत कर सकता है।
प्रश्न 14. इस पाठ से हमें क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर:- इस पाठ से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि जीवन में जीने के लिए मनुष्य के पास जो साधन उपलब्ध हो उनसे संतुष्ट रहना चाहिए।