17. वीर कुवर सिंह

निबंध से

प्रश्न 1. वीर कुंवर सिंह के व्यक्तित्व की कौन-कौन सी विशेषताओं ने आपको प्रभावित किया?

उत्तर:- वीर कुंवर सिंह के व्यक्तित्व की निम्न विशेषताएँ हमें प्रभावित करती हैं-

वीर सेनानी – कुँवर सिंह महान वीर सेनानी थे। 1857 के विद्रोह में उन्होंने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया व अंग्रेजों को कदम-कदम पर परास्त किया। कुँवर सिंह की वीरता पूरे उत्तर भारत द्वारा भुलाई नहीं जा सकती। आरा पर विजय प्राप्त करने पर इन्हें फौजी सलामी भी दी गई।

स्वाभिमानी – इन्होंने वीरता के साथ-साथ स्वाभिमानी की भी मिसाल दी। जब वे शिवराजपुर से गंगा पार करते हुए जा रहे थे तो डगलस की गोली का निशाना बन गए। उनके हाथ पर गोली लगी। उस समय वे न तो वहाँ से भागे और न ही उपचार की चिंता की, बल्कि हाथ ही काटकर गंगा में बहा दिया।

उदार स्वभाव – वे अत्यधिक उदार स्वभाव के थे। किसी प्रकार का कोई जातिगत भेदभाव उनमें न था। यहाँ तक कि उनकी सेना में इब्राहिम खाँ और किफायत हुसैन मुसलमान होते हुए भी उच्च पदों पर आसीन थे। वे हिंदू-मुसलमान दोनों के त्योहार सबके साथ मिलकर मनाते थे।

दृढ़निश्चयी – उन्होंने अपना जीवन देश की रक्षा हेतु समर्पित किया। जीवन के अंतिम पलों में इतने वृद्ध हो जाने पर भी सदैव युद्ध हेतु तत्पर रहते थे। यहाँ तक कि मरने से तीन दिन पूर्व ही उन्होंने जगदीशपुर में विजय पताका फहराई।।

समाज सेवक-एक वीर सिपाही के साथ-साथ वे समाज सेवक भी थे। उन्होंने कई पाठशालाओं, कुओं व तालाबों का निर्माण करवाया। वे निर्धनों की सदा सहायता करते थे।

साहसी – कुँवर सिंह का साहस अतुलनीय है। 13 अगस्त, 1857 को जब कुँवर सिंह की सेना जगदीशपुर में अंग्रेजों से परास्त हो गई तो उन्होंने साहस न छोड़ा, बल्कि भावी संग्राम की योजना बनाने लगे। सासाराम से मिर्जापुर होते हुए रीवा, कालपी, कानपुर, लखनऊ से आजमगढ़ की ओर बढ़ते हुए उन्होंने आजादी की आग को जलाए रखा। पूरे उत्तर भारत में उनके साहस की चर्चा थी। अंत में 23 अप्रैल, 1858 को आजमगढ़ में अंग्रेजों को हराते हुए उन्होंने जगदीशपुर में स्वाधीनता की विजय पताका फहरा कर ही दम लिया।

प्रश्न 2. कुंवर सिंह को बचपन में किन कामों में मज़ा आता था? क्या उन्हें उन कामों से स्वतंत्रता सेनानी बनने में कुछ मदद मिली?

उत्तर:- वीर कुंवर सिंह को बचपन में पढ़ाई-लिखाई से ज्यादा घुड़सवारी करने, तलवारबाजी करने तथा कुश्ती लड़ने में मजा आता था। जब बड़े होकर स्वतंत्रता सेनानी बने तो इन कार्यों से उन्हें बहुत सहायता मिली। तलवार चलाने व तेज़ घुड़सवारी से तो वे कदम-कदम पर अंग्रेजों को मात देते रहे।

प्रश्न 3. सांप्रदायिक सद्भाव में कुँवर सिंह की गहरी आस्था थी। पाठ के आधार पर कथन की पुष्टि कीजिए।

उत्तर:- कुँवर सिंह की सांप्रदायिक सद्भाव में गहरी आस्था थी। उनकी सेना में मुसलमान भी उच्च पदों पर थे। इब्राहीम खाँ तथा किफ़ायत हुसैन उनकी सेना में उच्च पदों पर आसीन थे। उनके यहाँ हिंदुओं तथा मुसलमानों में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करते थे। उनके यहाँ दोनों धर्मों के त्योहार एक साथ मनाए जाते हैं। इतना ही नहीं उन्होंने पाठशालाओं के साथ मकतबों का भी निर्माण कराया।

प्रश्न 4. पाठ के किन प्रसंगों से आपको पता चलता है कि कुंवर सिंह साहसी, उदार एवं स्वाभिमानी व्यक्ति थे?

उत्तर:-
साहसी – कुँवरसिंह पूरी की जीवन गाथा उनके साहसी होने का प्रमाण है। 13 अगस्त, 1857 को जब कुँवर सिंह की सेना जगदीशपुर में अंग्रेजों से परास्त हो गई तो उन्होंने साहस न छोड़ा, बल्कि भावी संग्राम की योजना बनाने लगे। सासाराम से मिर्जापुर होते हुए रीवा, कालपी, कानपुर, लखनऊ से आजमगढ़ की ओर बढ़ते हुए उन्होंने आजादी की आग को जलाए रखा। पूरे उत्तर भारत में उनके साहस की चर्चा थी। अंत में 23 अप्रैल, 1858 को आजमगढ़ में अंग्रेजों को हराते हुए उन्होंने जगदीशपुर में स्वाधीनता की विजय पताका फहरा कर ही दम लिया।

उदार – कुँवरसिंह बड़े ही उदार हृदय के थे। उनकी माली हालत अच्छी न होने के बावजूद वे निर्धनों की हमेशा सहायता करते थे। उन्होंने कई तालाबों, कुँओं, स्कूलों तथा रास्तों का निर्माण किया।

स्वाभिमानी – वयोवृद्ध हो चुकने के बाद भी उन्होंने अंग्रेज़ों के सामने घुटने नहीं टेके और उनका डटकर मुकाबला किया।

प्रश्न 5. आमतौर पर मेले मनोरंजन, खरीद-फरोख्त एवं मेलजोल के लिए होते हैं। वीर कुंवर सिंह ने मेले का उपयोग किस रूप में किया?

उत्तर:- प्रायः मेले का उपयोग मनोरंजन, खरीद-फरोख्त तथा मेलजोल के लिए किया जाता है, लेकिन कुँवर सिंह ने सोनपुर के मेले का उपयोग स्वाधीनता संग्राम की योजना बनाने के लिए किया। उन्होंने यहाँ सोनपुर के मेले का उपयोग अंग्रेजों के विरुद्ध अपनी बैठकों एवं योजनाओं के लिए किया। यहाँ लोग गुप्त रूप से इकट्ठे होकर क्रांति के बारे में योजनाएँ बनाते थे। सोनपुर में एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला लगता है। इसका आयोजन कार्तिक पूर्णिमा पर होता है। इस मेले में हाथियों की खरीद-बिक्री होती है। इस मेले की आड़ में कुँवर सिंह अंग्रेजों को चकमा देने में सफल रहे।

निबंध से आगे

प्रश्न 1. सन् 1857 के आंदोलन में भाग लेनेवाले किन्हीं चार सेनानियों पर दो-दो वाक्य लिखिए।

उत्तर:- रानी लक्ष्मीबाई – झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई स्वाधीनता संग्राम की प्रथम महिला थीं, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी भूमिका निभाई थी। वह स्वाभिमानिनी, कुशल योद्धा, कुशल प्रशासिका, विदुषी, भागवत गीता के सिद्धांतों को मानने वाली थी। अंग्रेजों से अंत तक लड़ती रही। लड़ते-लड़ते 23 वर्ष की अल्पायु में वीरगति को प्राप्त हो गई।

मंगल पांडे – अंग्रेजी सेना का सिपाही मंगल पांडे कट्टर धर्मावलंबी था। कारतूस में गाय और सुअर की खबर फैलने के बाद उन्होंने विद्रोह की शुरुआत की थी।

तात्या टोपे – तात्या टोपे का मूल नाम रामचंद्र पांडुरंग था। ये झाँसी की रानी की सेना में सेनापति थे। इन्हें 18 अप्रैल, 1859 को फाँसी पर लटका दिया गया था।

नाना साहेब पेशवा-ईस्ट इंडिया कंपनी अर्थात् अंग्रेजों द्वारा निर्वासित मराठा पेशवा, स्वाभिमानी, कुशल सेनानी, प्रखर योद्धा व पक्के राष्ट्रभक्त थे। तॉँ्या टोपे व लक्ष्मीबाई के प्रेरक रहे।

अजीमुल्लाह खान-मौलवी अजीमुल्लाह खान नाना साहेब के विधिवेत्ता, प्रखर देशभक्त, धर्मनिरपेक्ष, वीर योद्धा व प्रखर स्वाधीनता सेनानी थे। अंत में अंग्रेज़ों के हाथों पकड़े गए।

प्रश्न 2. सन् 1857 के क्रांतिकारियों से संबंधित गीत विभिन्न भाषाओं और बोलियों में गाए जाते हैं। ऐसे कुछ गीतों को संकलित कीजिए।
उत्तर:-
ओ मेरा रंग दे बसंती चोला, मेरा रंग दे बसंती चोला
ओ मेरा रंग दे बसंती चोला, ओय रंग बेसमान है।
बसंती चोला माई रंग दे बसंती चोला …………
दम निकले इस देश की खातिर बस इतना अर्मान है
एकबार इस राह में मरना सौ जन्मों के समान है।
देख के वीरों की कुरबानी अपना दिल भी बोला
मेरा रंग दे बसंती चोला
ओ मेरा रंग दे बसंति चोला, मेरा रंग दे
ओ मेरा रंग दे बसंति चोला, ओय रंग दे बसंती चोला
माई रंग दे बसंती चोला
जिस चोले को पहन शिवाजी खेले अपनी जान पे
जिसे पहन झाँसी की रानी मिट गई अपनी आन पे
आज उसी को पहन के निकला पहन के निकला
आज उसी को पहन के निकला, हम मरदों को टोला
मेरा रंग दे बसंती चोला
ओ मेरा रंग दे बसंती चोला मेरा रंग दे
ओ मेरा रंग दे बसंती चोला ओय रंग दे
बसंती चोला माई रंग दे बसंती चोला
माई रंग दे …………………..

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1. वीर-कुँवर सिंह का पढ़ने के साथ-साथ कुश्ती और घुड़सवारी में अधिक मन लगता था। आपको पढ़ने के अलावा और किन-किन गतिविधियों या कामों में खूब मज़ा आता है? लिखिए?

उत्तर:- हमें पढ़ने के साथ-साथ क्रिकेट खेलने, पार्क में घूमने, सिनेमा देखने एवं दोस्तों के साथ गप्पे मारना अच्छा लगता है। इसके अलावा बाइक की सवारी करना अच्छा लगता है।

प्रश्न 2. सन् 1857 में अगर आप 12 वर्ष के होते तो क्या करते? कल्पना करके लिखिए।

उत्तर:- 1857 में यदि मैं 12 वर्ष का होता तो अवश्य वीर सेनानियों के कार्यों से प्रभावित होता। मैं भी तलवार चलाना व घुड़सवारी आदि सीखता ताकि बड़ा होकर स्वाधीनता सेनानी बन पाता। लोगों में देश-प्रेम की भावना जागृत करने का भी प्रयास करता।

प्रश्न 3. अनुमान लगाइए, स्वाधीनता की योजना बनाने के लिए सोनपुर के मेले को क्यों चुना गया होगा?

उत्तर:- स्वाधीनता की योजना बनाने के लिए सोनपुर के मेले को इसलिए चुना गया होगा कि सोनपुर का मेला एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला माना जाता था। इसमें काफ़ी भीड़ होती थीं तथा तरह-तरह के हाथियों की खरीद-बिक्री की जाती थीं। इस मेले में इतनी भीड़ होती थी कि यदि स्वतंत्रता सेनानी यहाँ कोई योजना बनाने के लिए इकट्ठे हो जाएँ तो अंग्रेजी सरकार को कभी शक नहीं हो सकता था।

भाषा की बात

आप जानते हैं कि किसी शब्द को बहुवचन में प्रयोग करने पर उसकी वर्तनी में बदलाव आता है, जैसे- सेनानी एक व्यक्ति के लिए प्रयोग करते हैं और सेनानियों एक से अधिक के लिए। सेनानी शब्द की वर्तनी में बदलाव यह हुआ है कि अंत के ‘वर्ण’ ‘नी’ की मात्रा दीर्घ ी (ई) से ह्रस्व ि (इ) हो गई है। ऐसे शब्दों को, जिसके अंत में दीर्घ ईकार होता है, बहुवचन बनाने पर वह इकार हो जाता है, यदि शब्द के अंत में ह्रस्व इकार होता है, तो उसमें परिवर्तन नहीं होता; जैसे- दृष्टि से दृष्टियों।
• नीचे दिए गए शब्दों का वचन बदलिए
नीति ……………… जिम्मेदारियों …………… सलामी ………………
स्थिति ……………… स्वाभिमानियों ………… गोली ………………

उत्तर:-
नीति – नीतियों
जिम्मेदारियों – जिम्मेदारी
सलामी – सलामियों
स्थिति – स्थितियों
स्वाभिमानी – स्वाभिमानियों
गोली – गोलियाँ

अन्य प्रश्न

प्रश्न 1. वीर कुंवर सिंह का जन्म किस राज्य में हुआ था?

उत्तर:- वीर कुंवर सिंह का जन्म बिहार राज्य में हुआ था।

प्रश्न 2. मंगल पांडे ने अंग्रेजों के विरुद्ध कहाँ बगावत किया था?
उत्तर:- बैरकपुर

प्रश्न 3. 11 मई 1857 को भारतीय सैनिकों ने किस पर कब्जा कर लिया?
उत्तर:- 11 मई 1857 को भारतीय सैनिकों ने दिल्ली पर कब्जा कर लिया था।

प्रश्न 4. कुँवर सिंह का जन्म-बिहार राज्य के किस जनपद में हुआ।
उत्तर:- कुँवर सिंह का जन्म बिहार राज्य के शाहाबाद जनपद में हुआ था।

प्रश्न 5. वीर कुंवर सिंह का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

उत्तर:- वीर कुंवर सिंह का जन्म 1782 ई० में बिहार में शाहाबाद जिले के जगदीशपुर में हुआ था।

प्रश्न 6. बाबू कुँवर सिंह ने रियासत की जिम्मेदारी कब सँभाली?
उत्तर:- बाबू कुँवर सिंह ने अपने पिता की मृत्यु के बाद 1827 में रियासत की जिम्मेदारी सँभाली।

प्रश्न 7. कुँवर सिंह किस उद्देश्य से आज़मगढ़ पर अधिकार किया था?

उत्तर:- वीर कुंवर सिंह आजमगढ़ पर अधिकार कर इलाहाबाद और बनारस पर आधिपत्य स्थापित करना चाहते थे, वहाँ अंग्रेजों को पराजित कर अंततः उनका लक्ष्य जगदीशपुर पर अधिकार करना था।

प्रश्न 8. सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता ‘झाँसी की रानी’ में किन-किन स्वतंत्रता सेनानियों के नाम आए हैं?

उत्तर:- झाँसी की रानी’ कविता में रानी लक्ष्मीबाई के अलावे नाना धुंधूपंत, तात्या टोपे, अज़ीमुल्ला खान, अहमद शाह मौलवी तथा वीर कुंवर सिंह के नाम आए हैं।

प्रश्न 9. सन् 1857 के प्रथम स्वाधीनता संग्राम की शुरुआत कब और किसने की?

उत्तर:- सन् 1857 के प्रथम स्वाधीनता संग्राम की शुरुआत मंगल पांडे ने मार्च 1857 में बैरकपुर सैनिक छावनी से की थी।

प्रश्न 10. 1857 की क्रांति की क्या उपलब्धियाँ थीं?

उत्तर:- 1857 की क्रांति की सबसे बड़ी उपलब्धि यह थी कि यह आंदोलन देश को आजादी पाने की दिशा में एक प्रथम चरण था। इस क्रांति के परिणामस्वरूप लोगों की आँखें खुल गईं और उनमें राष्ट्रीय एकता और स्वाधीनता की पृष्ठभूमि का विकास हुआ। इस आंदोलन की उपलब्धि सांप्रदायिक सौहार्द की भावना के विकास के रूप में हुआ। हिंदू-मुस्लिम एकता बढ़ी। राष्ट्रीय भावना लोगों में जाग्रत हुई।

प्रश्न 11. मंगल पांडे के बलिदान के बाद स्वतंत्रता सेनानियों ने क्रांति को कैसे आगे बढ़ाया?

उत्तर:- मंगल पांडे के बलिदान के बाद मेरठ के आस-पास के स्वतंत्रता सेनानियों ने क्रांति को आगे बढ़ाया और दिल्ली पर विजय प्राप्त की। 14 मई को दिल्ली पर अधिकार करने के बाद उन्होंने बहादुरशाह ज़फ़र को अपना सम्राट घोषित किया।

प्रश्न 12. आज़मगढ़ की ओर जाने का वीर कुंवर सिंह का क्या उद्देश्य था?

उत्तर:- वीर कुंवर सिंह का आजमगढ़ जाने का उद्देश्य था, इलाहाबाद तथा बनारस पर आक्रमण कर शत्रुओं को पराजित करना। उस पर अपना अधिकार जमाना। अंततः उन्होंने इन पर अधिकार करने के बाद जगदीश पर भी कब्जा जमा लिया। उन्होंने अंग्रेजों को दो बार हराया। उन्होंने 22 मार्च 1858 को आजमगढ़ पर भी अधिकार कर लिया। उन्होंने अंग्रेजों को दो बार हराया। वे 23 अप्रैल 1858 को स्वाधीनता की विजय-पताका फहराते हुए जगदीशपुर तक पहुंच गए।

प्रश्न 13. वीर कुंवर सिंह ने अपना बायाँ हाथ गंगा मैया को समर्पित क्यों किया?
उत्तर:- जब कुँवर सिंह शिवराजपुर नामक स्थान से सेनाओं को गंगा पार करवा रहे थे तो अंतिम नाव पर वे स्वयं बैठे थे। उसी समय उनकी खोज में अंग्रेज सेनापति डगलस आया। उसने गोलियाँ बरसानी शुरू कर दी। उसी समय दूसरे तट से अंग्रेजों की एक गोली उनके बाएँ हाथ में लगी। शरीर में जहर फैलने के डर से कुँवर सिंह ने तत्काल अपनी तलवार निकाली और हाथ काटकर गंगा में भेंट कर दिया।

प्रश्न 14. 1857 के स्वतंत्रता संग्राम का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।

उत्तर:- सन् 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में भारतीयों ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ हथियारबंद होकर विद्रोह किया था। सर्वप्रथम मंगल पांडे ने बैरकपुर में अंग्रेजों के विरुद्ध बगावत किया। इसे बगावत को दबाने के लिए मंगल पांडे को 8 अप्रैल 1857 को फाँसी दे दी गई। 10 मई, 1857 को मेरठ छावनी ने भारतीय सैनिकों ने विद्रोह कर दिया। 11 मई को दिल्ली पर अपना कब्जा जमा लिया। उसके बाद अंतिम मुगलबादशाह बहादुरशाह जफ़र को भारत का शासक घोषित कर दिया गया। झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों को नाकों चने चबवा दिए। वीर कुंवर सिंह ने कई जगह अंग्रेजों को पराजित किया।

प्रश्न 15. 1857 के आंदोलन में वीर कुंवर सिंह के योगदानों का वर्णन करें।

उत्तर:- वीर कुंवर सिंह का 1857 के आंदोलन में निम्नलिखित योगदान है कुँवर सिंह वीर सेनानी थे। 1857 के विद्रोह में उन्होंने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया व अंग्रेजों को कदम-कदम पर परास्त किया। कुंवर सिंह की वीरता पूरे भारत द्वारा भुलाई नहीं जा सकती। आरा पर विजय प्राप्त करने पर इन्हें फौजी सलामी भी दी गई। इसके अलावे इन्होंने बनारस, मथुरा, कानपुर, लखनऊ आदि स्थानों पर जाकर विद्रोह की सक्रिय योजनाएँ बनाईं। उन्होंने विद्रोह का सफल नेतृत्व करते हुए दानापुर और आरा पर विजय प्राप्त की। जगदीशपुर में पराजित होने के बावजूद सासाराम से मिर्जापुर, रीवा, कालपी होते हुए कानपुर पहुँचे। उनकी वीरता की ख्याति दूर-दूर स्थान में पहुँच गई। उन्होंने आज़मगढ़ पर अधिकार करने के बाद अपनी मातृभूमि जगदीशपुर पर पुनः आधिपत्य जमा लिया। इस प्रकार उन्होंने मरते दम तक अपनी अमिट छाप पूरे देश पर छोड़ा।

प्रश्न 16. वीर कुंवर सिंह के जीवन से आपको क्या प्रेरणा मिलती है? लिखिए।

उत्तर:- वीर कुंवर सिंह के जीवन से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि यदि मनुष्य के मन में किसी भी कार्य को करने की दृढ इच्छा हो तो कोई भी बाधा उसे आगे बढ़ने से रोक नहीं सकती है। उनका जीवन हमें देश के लिए त्याग, बलिदान एवं संघर्ष करने की प्रेरणा देता है। उससे हमें परोपकारी बनने की प्रेरणा भी मिलती है। हमें भी वीर कुंवर सिंह के समान देश की सेवा करनी चाहिए।

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