19. आश्रम का अनुमानित व्यय

लेखा-जोखा

प्रश्न 1. हमारे यहाँ बहुत से काम लोग खुद नहीं करके किसी पेशेवर कारीगर से करवाते हैं। गांधी जी छेनी, हथौड़े, बसूले क्यों खरीदना चाहते होंगे?

उत्तर:- यह सत्य है कि हमारे यहाँ अर्थात् भारत में बहुत से काम लोग खुद न करके किसी पेशेवर कारीगर से करवाते हैं। गांधी जी छेनी, हथौड़े, वसूले इसलिए खरीदना चाहते होंगे ताकि लोग कुटीर उद्योग, लुहार व बढ़ईगिरी आदि को बढ़ावा दें। आत्मनिर्भर बनें व छोटे-छोटे कामों के लिए दूसरों का मुँह न ताकें।।

प्रश्न 2. गांधी जी ने अखिल भारतीय कांग्रेस सहित कई संस्थाओं व आंदोलनों का नेतृत्व किया। उनकी जीवनी या उन पर लिखी गई किताबों से उन अंशों को चुनिए जिनसे हिसाब-किताब के प्रति गांधी जी की चुस्ती का पता चलता है।

उत्तर:- गांधी जी कोई भी कार्य बिना हिसाब किताब के नहीं करते थे। वे प्रत्येक विषय के प्रति नकारात्मक व सकारात्मक सोच बराबर रखते थे। निम्ने उदाहरणों द्वारा इस वक्तव्य को स्पष्टता दे सकते हैं-

‘दांडी यात्रा’ के लिए गाँधी जी जब ‘रास’ नामक स्थान पर पहुँचे तो वहाँ निषेधाज्ञा लागू थी अर्थात कोई भी नेता किसी प्रकार के विचार जलूस-जलसे के रूप में नहीं प्रकट कर सकता था। गांधी जी तो लोगों को संबोधित किए बिना रह नहीं सकते थे तो पहले ही यह योजना बना ली गई कि यदि उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया तो अब्बास तैयबजी दांडी यात्रा का नेतृत्व करेंगे।
असहयोग आंदोलन के समय भी वे यह हिसाब लगाने में पूर्णतया सक्ष्म थे कि किस स्थान पर किस तरह से ब्रिटिश शासन पर प्रहार करना है। यही कारण था कि लोग उनके हर विचार की कद्र करते थे और उनका कहा पूरी तरह से मानते थे। |
वे बिल्कुल भी फिजूल खर्च न करते थे एक-एक पैसा सोच समझकरे खर्च करते थे यहाँ तक कि कई बार तो पच्चीस-पच्चीस किलोमीटर एक दिन में पैदल चलते थे। उनका मानना था कि धन को जरूरी कामों के लिए ही खर्च करना चाहिए। शानो-शौकत या वैभवपूर्व जीवन जीने के लिए नहीं।
किसी भी आश्रम या सभा का हिसाब-किताब वे बहुत कुशलता से लगाते थे। साबरमती आश्रम में भी उन्होंने ऐसा बजट बनाया कि आने वाले मेहमानों के खर्च भी उसमें शामिल किए गए।

प्रश्न 5. इस अनुमानित बजट को गहराई से पढ़ने के बाद आश्रम के उद्देश्यों और कार्यप्रणाली के बारे में क्या-क्या अनुमान लगाए जा सकते हैं?

उत्तर:- अनुमानित बजट को गहराई से अध्ययन करने के बाद हम आश्रम के उद्देश्यों को भलीभाँति समझ सकते हैं स्वावलंबन की भावना का विकास करना, अतिथि सत्कार करना, जरूरतमंदों को आवश्यक सुविधाएँ प्रदान करना, बेकार लोगों को आजीविका प्रदान करना, श्रम का महत्त्व समझना, कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देना, चरखे खादी आदि से स्वदेशी आंदोलन को बढ़ावा देना। सहयोग की भावना का विकास। इस आश्रम की कार्य प्रणाली का मुख्य आधार आत्मनिर्भरता है।

भाषा की बात

प्रश्न 2. बैलगाड़ी और घोड़ागाड़ी शब्द दो शब्दों को जोड़ने से बने हैं। इसमें दूसरा शब्द प्रधान है, यानी शब्द का प्रमुख अर्थ दूसरे शब्द पर टिका है। ऐसे समास को तत्पुरुष समास कहते हैं। ऐसे छह शब्द और सोचकर लिखिए और समझिए कि उनमें दूसरा शब्द प्रमुख क्यों है?

उत्तर:-
राहखर्च
क्रीडाक्षेत्र
तुलसीकृत
घुड़सवार
गंगाजल
वनवास
इन शब्दों में दूसरा शब्द प्रमुख है क्योंकि दूसरा शब्द पहले शब्द की सार्थकता को स्पष्ट कर रहा है।

जैसे-
राहखर्च राह के लिए खर्च
तुलसीकृत तुलसी द्वारा कृत
गंगाजल गंगा का जल
क्रीडाक्षेत्र क्रीड़ा के लिए क्षेत्र
घुड़सवार घोड़े पर सवार
वनवास वन में वास

अन्य प्रश्न

प्रश्न 1. आश्रम में शुरुआत में कितने लोग थे?

उत्तर:- आश्रम में शुरुआत में चालीस लोग थे।

प्रश्न 2. गांधी जी क्या बना रहे थे?

उत्तर:- गांधी जी अहमदाबाद के आश्रम में होने होने वाले खर्च का ब्यौरा बना रहे थे।

प्रश्न 3. कुछ समय बाद आश्रम के सदस्यों की संख्या कितनी होने वाली थी?

उत्तर:- 50

प्रश्न 4. सपरिवार रहने वाले अतिथि की संख्या आश्रम में कितनी होगी?

उत्तर:- तीन से पांच अतिथियों के सपरिवार आने की संभावना थी।

प्रश्न 5. आश्रम में कितनी पुस्तकें रखने की बात हो रही थी?

उत्तर:- 3000 पुस्तकें।

प्रश्न 6. स्टेशन से अतिथि और सामान को लाने के लिए किस साधन का प्रयोग करने की बात हो रही थी?

उत्तर:- बैलगाड़ी ।

प्रश्न 7. आश्रम में औज़ारों की आवश्यकता क्यों महसूस हो रही थी?

उत्तर:- आश्रम के छोटे-मोटे काम स्वयं करने के लिए औज़ारों की आवश्यकता थी।

प्रश्न 8. आश्रम में हर महीने कितने अतिथियों के आने की संभावना थी?

उत्तर:- आश्रम में हर महीने दस अतिथियों के आने की संभावना थी।

प्रश्न 9. आश्रम में कितने रसोईघर बनाने का लेखा-जोखा था?

उत्तर:- आश्रम में तीन रसोई घर बनाने की योजना थी।

प्रश्न 10. गांधी जी कौन-सा आश्रम बना रहे थे?

उत्तर:- गांधी जी अहमदाबाद में साबरमती आश्रम बना रहे थे।

प्रश्न 11. पुस्तकालय में कितनी पुस्तकें रखी जाती थीं?

उत्तर:- पुस्तकालय में तीन हजार पुस्तकें रखी जाती थीं।

प्रश्न 12. शिक्षण के सामान में कितने हथकरघों की आवश्यकता होगी?

उत्तर:- शिक्षण के सामान में पाँच-छह देशी हथकरघों की आवश्यकता होगी।

प्रश्न 13. गांधी जी ने आश्रम की स्थापना कब करनी चाही?

उत्तर:- गांधी ने सन् 1915 में, जब वे दक्षिण अफ्रीका से लौटे तो अहमदाबाद में आश्रम बनाने की योजना बनाई।

प्रश्न 14. गांधी जी को आश्रम के लिए कितने स्थान की ज़रूरत थी और क्यों?

उत्तर:- साबरमती आश्रम में लगभग 40-50 लोगों के रहने, इनमें हर महीने दस अतिथियों के आने की संभावना, जिनमें तीन या पाँच सपरिवार आने की उम्मीद थी। अतः आश्रम में तीन रसोईघर तथा रहने के मकान के लिए 50,000 फुट क्षेत्रफल में बने मकान की आवश्यकता थी। इसके अलावे-खेती के लिए पाँच एकड़ जमीन की ज़रूरत थी, क्योंकि इतने लोगों के भोजन का सामान खरीदना कठिन था।

प्रश्न 15. गांधी जी ने आश्रम के अनुमानित खर्च का ब्यौरा क्यों तैयार किया?

उत्तर:- गांधी जी द्वारा लिखे गए पाठ ‘आश्रम का अनुमानित व्यय’ से हमें सीख मिलती है कि यदि हम कोई भी कार्य करना चाहें तो सोच-समझकर पहले ब्यौरा बना लेना चाहिए ताकि उसके अनुमानित खर्च को भी जाना जा सके तथा इस हिसाब से आगे बढ़ने का रास्ता भी साफ़ दिखाई देने लगता है। गांधी जी एक ऐसे आश्रम की स्थापना कर रहे थे। इसके लिए स्थान की ज़रूरत थी, आवश्यक वस्तुओं, पुस्तकों, भोजन की व्यवस्था करने की जरूरत थी। वहाँ सत्याग्रह तथा स्वदेशी आंदोलन की योजनाएँ तैयार करनी थीं। वह आश्रम एक दो दिन के लिए नहीं, लंबे समय के लिए बनाया जा रहा था। अतः स्थायी व्यवस्था के लिए गांधी ने खर्च का लेखा-जोखा तैयार दिया।

प्रश्न 16. गांधी जी के अनुसार आश्रम में कौन-कौन से खर्च थे? वह उसे कहाँ से जुटाना चाहते थे?

उत्तर:- गांधी जी के अनुसार यदि अन्य खर्च अहमदाबाद उठा ले, तो वह खाने का खर्च जुटा लेंगे। उनके अनुसार आश्रम के मद में निम्नलिखित खर्च थे।

मकान और जमीन का किराया।
किताबों की अलमारियों का खर्च ।
बढ़ई के औजार।।
मोची के औजार।
चौके के सामान।
एक बैलगाड़ी या घोडागाड़ी।
एक वर्ष में भोजन का खर्च- 6000 रु०।।

प्रश्न 17. क्या आप इस बात से सहमत हैं कि गांधी जी द्वारा आश्रम संबंधी दृष्टिकोण व्यावहारिक था?

उत्तर:- हाँ, मैं इस बात से सहमत हूँ कि गांधी का आश्रम संबंधी दृष्टिकोण व्यावहारिक था। वे स्वावलंबन पर जोर देते थे, अतः खर्च को न्यूनतम बनाने का प्रयास किया गया है। ऐसा उन्होंने संभव कर दिया था।

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