6. शुक्रतारे के समान (स्वामी आनंद)

मौखिक
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-

प्रश्न 1. महादेव भाई अपना परिचय किस रूप में देते थे?

उत्तर- महादेव भाई स्वयं को गाँधीजी का ‘हम्माल’ कहने और कभी-कभी ‘पीर-बावर्ची-भिश्ती-खर’ के रूप में अपना परिचय देने में गौरव का अनुभव करते थे।

प्रश्न 2. ‘यंग इंडिया’ साप्ताहिक में लेखों की कमी क्यों रहने लगी थी?

उत्तर- अंग्रेजी संपादक हार्नीमैन ‘यंग इंडिया’ के लिए लिखते थे, जिन्हें देश निकाले की सजा देकर इंग्लैंड भेज दिया था। इस कारण ‘यंग इंडिया’ साप्ताहिक में लेखों की कमी रहने लगी।

प्रश्न 3. गांधी जी ने ‘यंग इंडिया’ प्रकाशित करने के विषय में क्या निश्चय किया?

उत्तर- गाँधी जी ने ‘यंग इंडिया’ को सप्ताह में दो बार प्रकाशित करने का निश्चय किया।

प्रश्न 4. गांधी जी से मिलने से पहले महादेव भाई कहाँ नौकरी करते थे?

उत्तर- गांधी जी से मिलने से पहले महादेव भाई भारत सरकार के अनुवाद विभाग में नौकरी करते थे। इसके साथ ही उन्होंने अहमदाबाद में वकालत भी शुरू की थीं।

प्रश्न 5. महादेव भाई के झोलों में क्या भरा रहता था?

उत्तर- महादेव भाई के झोलों में ताजी राजनीतिक घटनाओं, जानकारियों, चर्चाओं से संबंधित पुस्तकें, समाचार पत्र, मासिक पत्र आदि भरे रहते थे।

प्रश्न 6. महादेव भाई ने गांधी जी की कौन-सी प्रसिद्ध पुस्तक का अनुवाद किया था?

उत्तर- महादेव भाई ने गांधी जी की आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ का अंग्रेजी अनुवाद किया।

प्रश्न 7. अहमदाबाद से कौन-से दो साप्ताहिक निकलते थे?

उत्तर- अहमदाबाद से निकलने वाले साप्ताहिक पत्र थे-‘यंग इंडिया’ तथा ‘नव जीवन’।

प्रश्न 8. महादेव भाई दिन में कितनी देर काम करते थे?

उत्तर- महादेव भाई की दिनचर्या अत्यंत व्यस्त थी। महादेव भाई लगातार चलने वाली यात्राओं, मुलाकातों, चर्चाओं और बातीचत में अपना समय बिताते थे। इस प्रकार वे 18-20 घंटे तक काम करते थे।

प्रश्न 9. महादेव भाई से गांधी जी की निकटता किस वाक्य से सिद्ध होती है?

उत्तर- महादेव भाई से गाँधी जी की निकटता इस बात से सिद्ध होती है कि वे बाद के सालों में प्यारेलाल को बुलाते हुए ‘महादेव’ पुकार बैठते थे।

लिखित
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-

प्रश्न 1. गांधी जी ने महादेव को अपना वारिस कब कहा था?

उत्तर- महादेव भाई का स्थान गाँधीजी के मन में पुत्र से भी बढ़कर था। 1917 में वे गाँधीजी के संपर्क में आए। गांधी जी ने उनको पहचानकर उन्हें उत्तराधिकारी का पद सौंपा था। 1919 में जलियाँबाग कांड के समय जब गांधी जी पंजाब जा रहे थे तब उन्हें गिरफ्तार कर लिया। उन्होंने उसी समय महादेव भाई को अपना वारिस कहा था।

प्रश्न 2. गांधी जी से मिलने आनेवालों के लिए महादेव भाई क्या करते थे?

उत्तर- महादेव भाई गांधी जी से मिलने आनेवालों की समस्याओं को सुनते थे। उनकी संक्षिप्त टिप्पणी तैयार करके गाँधी जी के सामने पेश करते थे तथा उनसे लोगों की मुलाकात करवाते थे।

प्रश्न 3. महादेव भाई की साहित्यिक देन क्या है?

उत्तर- महादेव भाई एक कुशल लेखक और अनुवादक भी थे। वे गाँधीजी की गतिविधियों पर अनेक समाचार-पत्रों में लेख लिखते थे। महादेव भाई ने ‘सत्य के प्रयोग’ का अंग्रेजी अनुवाद किया। इसके अलावा ‘चित्रांगदा’, ‘विदाई का अभिशाप’, ‘शरद बाबू की कहानियाँ’ आदि का अनुवाद उनकी साहित्यिक देन है।

प्रश्न 4. महादेव, भाई की अकाल मृत्यु को कारण क्या था?

उत्तर- ममहादेव भाई प्रतिभा संपन्न और परिश्रमी व्यक्ति थे। वे भीषण गर्मी में प्रत्येक दिन पूरे ग्यारह मील पैदल चलकर सेवाग्राम आते-जाते थे। लंबे समय तक यह सिलसिला चलता रहा और इससे उनका स्वास्थ्य बिगड़ गया। उनकी अकाल मृत्यु के कारणों में यह भी एक कारण माना जाता है।

प्रश्न 5. महादेव भाई के लिखे नोट के विषय में गांधी जी क्या कहते थे?

उत्तर- महादेव भाई के द्वारा लिखित नोट बहुत ही सुंदर और इतने शुद्ध होते थे कि उनमें कॉमा और मात्रा की भूल और छोटी गलती भी नहीं होती थी। गांधी जी दूसरों से कहते कि अपने नोट महादेव भाई के लिखे नोट से ज़रूर मिला लेना।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-

प्रश्न 1. पंजाब में फ़ौजी शासन ने क्या कहर बरसाया?

उत्तर- पंजाब में फ़ौजी शासन ने काफी आतंक मचाया। पंजाब के अधिकतर नेताओं को गिरफ्तार किया गया और उन्हें उम्र कैद की सज़ा देकर काला पानी भेज दिया गया। 1919 में जलियाँवाला बाग में सैकड़ों निर्दोष लोगों को गोलियों से भून दिया गया। ‘ट्रिब्यून’ के संपादक श्री कालीनाथ राय को दस साल की कठोर सजा दी गई। आज़ादी के आंदोलन को कुचलने के लिए निहत्थी जनता पर भयानक जुल्म किए गए।

प्रश्न 2. महादेव जी के किन गुणों ने उन्हें सबका लाडला बना दिया था?

उत्तर- महादेव भाई गांधी जी के लिए पुत्र के समान थे। वे गांधी का हर काम करने में रुचि लेते थे। गांधी जी के साथ देश भ्रमण तथा विभिन्न गतिविधियों में हिस्सा लेते थे। वे गांधी जी की गतिविधियों पर टिप्पणी करते थे। महादेव जी की लिखावट बहुत सुंदर, स्पष्ट थी। वे इतना शुद्ध लिखते थे कि उसमें मात्रा और कॉमा की भी अशुधि नहीं होती थी। वे पत्रों का जवाब जितनी शिष्टता से देते थे, उतनी ही विनम्रता से लोगों से मिलते थे। वे विरोधियों के साथ भी उदार व्यवहार करते थे। उनके इन्हीं गुणों ने उन्हें सभी का लाडला बना दिया।

प्रश्न 3. महादेव जी की लिखावट की क्या विशेषताएँ थीं?

उत्तर- उस समय पूरे भारत में महादेव जी की तरह शुद्ध और सुंदर लेखन कोई दूसरा व्यक्ति नहीं कर सकता था। गाँधीजी के वाइसराय को लिखे पत्र महादेव की लिखाई में ही होते थे। उनकी लिखावट से वाइसराय भी प्रभावित था। वे तेज़ गति से लंबी लिखाई कर सकते थे। उनकी लिखावट में कोई भी गलती नहीं होती थी। लोग टाइप करके लाई ‘रचनाओं को महादेव की रचनाओं से मिलाकर देखते थे। उनके लिखे लेख, टिप्पणियाँ, पत्र और गाँधीजी के व्याख्यान सबके सब ज्यों-के-ज्यों प्रकाशित होते थे।

(ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए-

प्रश्न 1. ‘अपना परिचय उनके ‘पीर-बावर्ची-भिश्ती-खर’ के रूप में देने में वे गौरवान्वित महसूस करते थे।’

उत्तर- आशय-महादेव भाई गांधी जी के निजी सचिव और निकटतम सहयोगी थे। इसके बाद भी उन्हें अभिमान छू तक न गया था। वे गांधी जी के प्रत्येक काम को करने के लिए तैयार रहते थे। वे गांधी जी की प्रत्येक गतिविधि, उनके भोजन और दैनिक कार्यों में सदैव साथ देते थे। वे स्वयं को गाँधीजी का सलाहकार, रसोइया और सेवक मानने में शर्म नहीं, गर्व महसूस करते थे।

प्रश्न 2. इस पेशे में आमतौर पर स्याह को सफेद और सफेद को स्याह करना होता था।

उत्तर- महादेव भाई ने गाँधी जी के सान्निध्य में आने से पहले वकालत का काम किया था। इस काम में वकीलों को अपना केस जीतने के लिए सच को झूठ और झूठे को सच बताना पड़ता है। इसलिए कहा गया है कि इस पेशे में स्याह को सफ़ेद और सफ़ेद को स्याह करना होता था।

प्रश्न 3. देश और दुनिया को मुग्ध करके शुक्रतारे की तरह ही अचानक अस्त हो गए।

उत्तर- आशय- नक्षत्र मंडल में करोड़ों तारों के मध्य शुक्रतारा अपनी आभा-प्रभा से सभी का ध्यान अपनी ओर खींच लेता है, भले ही उसका चमक थोड़े समय के लिए हो। उसी तरह महादेव भाई भी अल्पसमय में ही अपने मिलनसार स्वभाव, मृदुभाषिता, अहंकार रहित विनम्र स्वभाव, शुद्ध एवं सुंदर लिखावट तथा लेखक की मनोहारी शैली से सभी का दिल जीत लिया था।

प्रश्न 4. उन पत्रों को देख-देखकर दिल्ली और शिमला में बैठे वाइसराय लंबी साँस-उसाँस लेते रहते थे।

उत्तर- महादेव इतनी शुद्ध और सुंदर भाषा में पत्र लिखते थे कि देखने वालों के मुँह से वाह निकल जाती थी। गाँधी जी के पत्रों का लेखन महादेव करते थे। वे पत्र जब दिल्ली व शिमला में बैठे वाइसराय के पास जाते थे तो वे उनकी सुंदर लिखावट देखकर दंग रह जाते थे।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 1. ‘इक’ प्रत्यय लगाकर शब्दों का निर्माण कीजिए-

सप्ताह – साप्ताहिक
अर्थ –
साहित्य –
धर्म –
व्यक्ति –
मास –
राजनीति –
वर्ष –

उत्तर-
सप्ताह – साप्ताहिक
अर्थ – आर्थिक
साहित्य – साहित्यिक
धर्म – धार्मिक
व्यक्ति – वैयक्तिक
मास – मासिक
राजनीति – राजनैतिक
वर्ष – वार्षिक

प्रश्न 2. नीचे दिए गए उपसर्गों का उपयुक्त प्रयोग करते हुए शब्द बनाइए-
अ, नि, अन, दुर, वि, कु, पर, सु, अधि

उत्तर-
आर्य – अन + आर्य = अनार्य
आगत – सु + आगत = स्वागत
डर – नि + डर = निडर
आकर्षक – अन + आकर्षक = अनाकर्षक
क्रय – वि + क्रय = विक्रय
मार्ग – कु + मार्ग = कुमार्ग
उपस्थित – अन + उपस्थित = अनुपस्थित
लोक – पर + लोक = परलोक
नायक – वि + नायक = विनायक
भाग्य – दुर + भाग्य = दुर्भाग्य

प्रश्न 3. निम्नलिखित मुहावरों को अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए-
आड़े हाथों लेना, दाँतों तले अंगुली दबाना, लोहे के चने चबाना, अस्त हो जाना, मंत्रमुग्ध करना।

उत्तर-
आड़े हाथों लेना – देर से घर आने पर पिता ने पुत्र को आड़े हाथों लिया।
दाँतों तले अँगुली दबाना – लक्षमीबाई का रण कौशल देख अंग्रेज़ों ने दाँतों तले अँगुली दबा ली।
लोहे के चने चबाना – इस रेगिस्तान को हरा-भरा बनाना लोहे के चने चबाने जैसा है।
अस्त हो जाना – अपनी प्रतिभा की चमक दिखाकर महादेव भाई असमय अस्त हो गए।
मंत्रमुग्ध करना – सुमन के बुने स्वेटर की बुनाई मुझे मंत्रमुग्ध कर रही है।

प्रश्न 4. निम्नलिखित शब्दों के पर्याय लिखिए-

वारिस –
जिगरी –
कहर –
मुकाम –
रूबरू –
फ़र्क –
तालीम –
गिरफ्तार –

उत्तर-
वारिस – उत्तराधिकारी
जिगरी – घनिष्ठ, पक्का
कहर – घोर मुसीबत
मुकाम – लक्ष्य, मंजिल
रूबरू – आमने-सामने
फ़र्क – अंतर
तालीम – शिक्षा
गिरफ्तार – कैद, बंदी

प्रश्न 5. उदाहरण के अनुसार वाक्य बदलिए-
उदाहरण : गांधी जी ने महादेव भाई को अपना वारिस कहा था।
गांधी जी महादेव भाई को अपना वारिस कहा करते थे।

महादेव भाई अपना परिचय ‘पीर-बावर्ची-भिश्ती-खर’ के रूप में देते थे।
पीड़ितों के दल-के-दल गामदेवी के मणिभवन पर उमड़ते रहते थे।
दोनों साप्ताहिक अहमदाबाद से निकलते थे।
देश-विदेश के समाचार-पत्र गांधी जी की गतिविधियों पर टीका-टिप्पणी करते थे।
गांधी जी के पत्र हमेशा महादेव की लिखावट में जाते थे।

उत्तर-
महादेव भाई अपना परिचय ‘पीर-बावर्ची-भिश्ती-खर’ के रूप में दिया करते थे।
पीड़ितों के दल-के-दल गामदेवी के भवन पर उमड़ा करते थे।
दोनों साप्ताहिक अहमदाबाद से निकला करते थे।
देश-विदेश के समाचार-पत्र गांधी जी की गतिविधियों पर टीका-टिप्पणी किया करते थे।
गांधी जी के पत्र हमेशा महादेव की लिखावट में जाया करते थे।

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